विधुत धारा हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ऊर्जा के संचार का माध्यम है। यह इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के रूप में परिभाषित होती है और हमारे घरों, उद्योगों, और तकनीकी उपकरणों को चलाने में अहम भूमिका निभाती है। बिजली के बिना आज की आधुनिक दुनिया की कल्पना करना असंभव है। बल्ब जलाने से लेकर विशाल मशीनों को चलाने तक, विधुत धारा की उपस्थिति हर जगह महसूस होती है।
Table of Contents
❖ विधुत धारा (Electric Current) :-
आवेश के प्रवाह की दर
अदिश राशि
मात्रक → एम्पियर
धारा → e– नो का प्रवाह
➤ आवेश (Charge) :-
पदार्थ का वह गुण जो पदार्थ को आपस में या किसी वस्तु से रगड़ने पर उसमें आकर्षण या प्रतिकर्षण का गुण ला दें।
प्रकृत्ति – पृष्ठीय
बण्डलों के रूप में आता है जिसे क्वान्टा कहते हैं।
- 1 क्वान्टा = e– पर आवेश (1.6×10-19 कूलाम)
- अदिश राशि
- मात्रक → SI मात्रक – कूलाम्ब
- अन्य मात्रक → फैराडे (1 फैराडे = 96500 कूलाम्ब)
- स्थिर विधुत इकाई (ESU) – (1कूलाम = 3×109 ESU)
आवेश के प्रकार :- बेंजामिन फ्रेकलिन ने बताएँ – 2 प्रकार के
धनावेश (e– का त्याग) | ऋणावेश (e– को ग्रहण) |
समान आवेश – प्रतिकर्षण [ (+ +) (- -) ] | असमान आवेश – आकर्षण [ (+ -) (- +) ] |
➞ नोट :-
आवेश की सर्वप्रथम गणना थेल्स ने की थी।
तड़ित चालक, नर्म लोहा/एल्युमिनियम/तांबा का बनाया जाता हैं।
e– पर आवेश की गणना मिलिकन ने की थी (तेल-बूंद प्रयोग)
➤ धारा
धारा के प्रकार – 2
AC (Alternating Current या प्रत्यावर्ती धारा)
DC (Direct Current या दिष्ट धारा)
AC (Alternating Current) | DC (Direct Current) |
---|---|
धारा की दिशा → परिवर्तित | धारा की दिशा → अपरिवर्तित |
विभवान्तर (Voltage) → घटता – बढ़ता है | विभवान्तर (Voltage) → स्थिर |
दोनों दिशा में चलती है A ⇌ B | एक ही दिशा में चलती है A ⟶ B |
आवृत्ति – → भारत → 50 Hz व 220 V → U.S.A → 60 Hz व 110 V | आवृत्ति → शून्य |
स्त्रोत – – ट्रांसफॉर्मर – घरेलू परिपथ | स्त्रोत – – सैल – बैटरी – DC जनरेटर |
➞ नोट :-
धारा की दिशा → उच्च विभव से निम्न विभव की और
धारा हमेशा म- के विपरीत बहती है।
कूलाम नियतांक का मान → 9×109N-m2/q2
जब धारा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाती है तो 6.025 × 1018 e– नों का गमन होता है।
➤ विभव, विभवान्तर व विधुत वाहक बल :-
अदिश राशि
मात्रक → वोल्ट
विभव→एकांक धनावेश को अनन्त से विधुत क्षेत्र के एक बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य
विभवान्तर → एकांक धनावेश को विधुत क्षेत्र के एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य
विधुत वाहक बल→ खुले परिपथ में एकांक धनावेश को घुमाने में किया गया कार्य
➤ ओम का नियम (Ohm’s Law) :-
यदि किसी चालक तार की भौतिक अवस्था (लम्बाई, क्षैत्रफल व ताप) समान हो तो उसमें बहने वाली धारा (I), उसके सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर (V) के समानुपाती होती है। I ∝ V या V ∝ I
V = IR (R→ प्रतिरोध नियतांक)
➤ प्रतिरोध (R) :-
R = V/I
धारा के मार्ग में रूकावट बनना या धारा के बहने का विरोध करने का गुण
मात्रक → वोल्ट/एम्पियर या ओम (Ω)
अदिश राशि
➤ चालकता (G) :-
प्रतिरोध का व्युत्क्रम चालकता कहलाती है।
चालकता = 1/प्रतिरोध
मात्रक → 1/ओम या ओम-1/म्हो/साइमन
विधुत की सबसे अच्छी सुचालक धातु → चांदी (Ag)
चालकता का क्रम → Ag > Cu > Al > Au > Pt
➤ प्रतिरोध की निर्भरता :-
चालक तार की लम्बाई (R ∝ L)
अनुप्रस्थ काट के क्षैत्रफल (R∝1/A)
ताप पर
➤ ताप पर निर्भरता –
चालक/सुचालक | कुचालक/अचालक | अर्द्धचालक |
---|---|---|
ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध बढ़ता है। | ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध घटता है। | ताप बढ़ाने पर प्रतिरोध घटता है। |
उदाहरण : – सभी धातुएँ (अपवाद: लेड/सीसा – कुचालक) – साधारण जल – मानव शरीर, पृथ्वी, ग्रेफाइट, लवणीय जलीय विलयन |
उदाहरण : – आसुत जल – शुष्क शरीर – हीरा – रबड़, प्लास्टिक, काँच, सुखी लकड़ी |
यह सामान्य ताप पर कुचालक है परन्तु ताप बढ़ाने पर सुचालक हो जाता है। उदाहरण : जर्मेनियम, सिलिकॉन |
➤ विशिष्ट प्रतिरोध (ρ) या प्रतिरोधकता :-
मात्रक → ओम – मीटर
सर्वाधिक (Max) → टंगस्टन व सीसा
न्यूनतम (Min) → चांदी
निर्भर → केवल पदार्थ की प्रकृति पर
➤ विशिष्ट चालकता (∝) :-
विशिष्ट प्रतिरोध का व्युत्क्रम, विशिष्ट चालकता कहलाती है।
मात्रक = 1/ओम-मीटर (ओम-1-मीटर-1)
➞ नोट :-
पारा/मर्करी (Hg) एकमात्र एसी धातु है जो अति- निम्न माप (4.12K) पर विधुत की अतिचालन दर्शाती है।
प्रतिरोधो/परिपथों का संयोजन :-
श्रेणीक्रम संयोजन :-
तुल्य/परिणामी प्रतिरोध ⇒ Req = R1 + R2 + R3 + —
समान्तर क्रम/पार्श्व क्रम संयोजन :-
तुल्य/परिणामी प्रतिरोध ⇒
श्रेणीक्रम संयोजन | समान्तर क्रम या पार्श्व क्रम |
---|---|
धारा समान | धारा असमान |
विभवान्तर (Voltage) – असमान | विभवान्तर (Voltage) – समान |
एक परिपथ खराब होने पर आगे के परिपथ बंद हो जाते हैं। | एक परिपथ खराब होने पर आगे के परिपथ चालू रहेंगे। |
उदाहरण : – अमीटर – फ्यूज – रोडलाइटे – लड़ियों के बल्ब – शादियों में डेकोरेशन |
उदाहरण : – सभी घरेलू परिपथ – वोल्टमीटर |
➤ विधुत शक्ति (P) :-
किसी परिपथ में प्रवाहित धारा व विभवान्तर का गुणनफल
P = V × I
मात्रक = वोल्ट – एम्पियर या वाट
अन्य मात्रक → अश्व शक्ति (HP)
746 वाट (British पद्धति)
735.5 वाट (Matric पद्धति)
➤ विधुत ऊर्जा :-
वह ऊर्जा जिस पर विधुत के उपकरण कार्य करते है।
मात्रक = किलोवाट घंटा (Kwh)
1Kwh = 1 यूनिट
यूनिट = वाट क्षमता × प्रतिदिन उपयोग (घंटो में) /1000
2000 वाट के हीटर को प्रतिदिन आधे घंटे काम में लेने पर व्यय ऊर्जा बताइये।
Ans. यूनिट → (2000×1)/(1000×2) = 1 यूनिट
फिलामेन्ट/तंतु :-
बल्ब, ट्यूबलाइट ⟶ टंगस्टन (W)
हीटर, निमज्जन छड़, विधुत प्रेस, विधुत फ्यूज, विधुत केतली ⟶ नाइक्रोम (Ni + Cr + Mn + Fe)
➤ धारा के प्रभाव :-
तातापीय/ऊष्मीय प्रभाव | चुम्बकीय प्रभाव | रासायनिक प्रभाव |
---|---|---|
– बल्ब – ट्यूबलाइट – हीटर – निमज्जन छड़ – विधुत केतली – विधुत प्रेस – विधुत टोस्टर – विधुत फ्यूज | – ट्रांसफॉर्मर – डायनेमो – अल्टीनेटर – विधुत मोटर – विधुत चुम्बक – विधुत क्रेन | – विधुत सेल |
➤ सेल (Cell) :-
आविष्कार → एलेक्जेन्डर ई. वोल्टा
इसमें DC धारा होती हैं।
कार्य → रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलना
सेल के प्रकार – 2
प्राथमिक सेल | द्वितीयक सेल |
---|---|
कार्य – रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलना | कार्य – रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में तथा विधुत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलना |
इन्हें पुनः आवेशित (Charge) नहीं कर सकते हैं। | इन्हें पुनः आवेशित (Charge) कर सकते हैं। |
उदाहरण : – वोल्टीय सेल – लेक्लांशी सेल – शुष्क सेल – डेनियल सेल – बटन सेल / ब्वपद ब्मसस / मर्करी सेल |
उदाहरण : – सीसा संचायक सेल / कार बैटरी – मोबाइल बैटरी |
➤ ट्रांसफॉर्मर (Transformer) :-
आविष्कार → माइकल फैराडे
सिद्धांत → अन्योन्य प्रेरण
केवल AC परिपथ पर कार्य करता हैं
कार्य → AC Voltage को कम या अधिक करना
➤ फ्यूजतार (Fuse wire):-
निर्माण् → लेड/सीसा (Pb) + टिन (Sn)
परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं।
उच्च प्रतिरोध व निम्न ग्लनांक
कार्य → शॉर्ट सर्किट (लघु परिपथन) से बचाना
Note →लघु परिपथन में धारा का मान बढ़ जाता है।
➤ अमीटर (Ammeter):-
धारा का मापन
आदर्श अमीटर का प्रतिरोध → शून्य
परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ते हैं।
➤ वोल्टमीटर (Voltmeter) :-
विभवान्तर (Voltage) का मापन
आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध → अनन्त
परिपथ में समान्तर क्रम में जोड़ते हैं।
प्रमुख उपकरण व कार्य :-
उपकरण | कार्य |
---|---|
बल्ब व ट्यूबलाईट | विधुत ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मा ऊर्जा में बदलना |
हीटर, विधुत केतली, विधुत प्रेस, निमज्जन छड़ व विधुत फ्यूज | विधुत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदलना |
डायनेमो (विद्युत जनित्र) | यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलना |
विधुत मोटर | विधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलना |
विधुत सेल | रासायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलना |
रेक्टिफायर (दिष्टकारी) | AC को DC में बदलना |
इन्वर्टर | DC को AC में बदलना |