जंतुओं का वर्गीकरण (Classification of Animals) प्रकृति में पाई जाने वाली जैव विविधता को समझने का एक महत्वपूर्ण विज्ञान है। यह प्रक्रिया जंतुओं को उनके आकार, संरचना, व्यवहार और विकासात्मक विशेषताओं के आधार पर विभिन्न समूहों में बांटती है। जंतुओं का सही वर्गीकरण हमें न केवल उनकी पहचान करने में मदद करता है, बल्कि उनके जीवनचक्र, पर्यावरण में भूमिका और पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान को समझने का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
Table of Contents
❖ जन्तु जगत का वर्गीकरण :-
- वर्गीकरण के पिता/जनक → कार्ल लिनियस
- द्विनाम पद्धति के जनक → कार्ल लिनियस
- वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई → जाति
- वर्गीकरण की सबसे बड़ी इकाई → जगत
जन्तु जगत
प्रोटिस्टा (Protista) | मेटाजोआ (Metazoa) |
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इसमें एक कोशिकीय जीव आते हैं। | इसमें बहुकोशिकीय जीव आते हैं। |
उदाहरण:
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इन्हें 2 भागों में बांटा गया हैं:
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❖ कॉर्डेटा (कशेरूकी) :-
- इसमें वो जीव आते है जिनमें रीढ़ की हड्डी पाई जाती हैं।
- यह युकेरियोटिक व बहुकोशिकीय होते हैं।
- इसमें वर्गों को निम्न प्रकार बांटा गया हैं।
❖ मत्स्य वर्ग (Pieces) :-
- यह लवणीय व अलवणीय दोनो प्रकार के जल में पाई जाती हैं।
- यह सभी असमतापी जन्तु है।
- श्वसन अंग → गलफड़े/गिल्स/क्लोम
- हृदय में कक्षक → 2 (1 आलिन्द व 1 निलय)
उदाहरण –
→ कुत्ता मछली, आरा मछली, विशाल सफेद शार्क, व्हेल शार्क
→ उड़न मछली, समुद्री घोड़ा, लड़ाकु मछली
❖ एम्फीबिया (Amphibia) वर्ग (उभयचर) :-
- इसमें वो जीव आते है जो जल व थल दोनों जगह जीवन यापन कर सकते हैं।
- इनकी त्वचा चिकनी व नम होती है।
- यह असमतापी होते हैं।
- श्वसन अंग → फेंफड़े व त्वचा
- हृदय में कक्षक – 3 (2 आलिन्द व 1 निलय)
उदाहरण –
ब्यूफो (टोड), राना (मेढ़क), हायला, सेलामेण्डर, रेकोफोरस (उड़ने वाला मेढ़क), नेक्ट्यूरस (जलीय कुता), इक्थीयोफिस-पादविहीन
❖ सरीसृप वर्ग (Reptilia) :-
- यह वास्तविक स्थलीय जीव होते हैं।
- इनमें कुछ प्राणी जलीय भी होते हैं।
- त्वचा शुष्क (Dry)
- ग्रंथियां → अनुपस्थित
- तेल ग्रंथियां → उपस्थित
- कर्णपल्लव (Pinna) → अनुपस्थित
- कान का पर्दा (Tympenum) → उपस्थित (जमीन से कम्पन सुन सकते हैं।)
उदाहरण –
→ कछुआ – सबसे बड़ा जीवित सरीसृप, टेस्टयूडो, केमेलिऑन, केलोट्स, एलीगेटर, डेमी डेक्टाइलस, ड्रेको (उड़न छिपकली), क्रोको डाइल्स (मगरमच्छ), हीलोडर्मा (जहरीली छिपकली), सांप
❖ एवीज (Aves) / पक्षी वर्ग :-
- उड़ने वाले कशेरूक प्राणी
- सभी प्रकार के वातावरण में पाये जाते हैं।
- शरीर नौकाकार व धारा रेखित होता हैं।
- इस वर्ग के जन्तु के दो जोड़ी पाद हाते हैं।
- अग्रपाद, पंखो में रूपांतरित हो जाते हैं।
- पश्चपाद, चार-चार नखरयुक्त होते हैं।
- पंखों पर शल्क पाये जाते हैं।
- अस्थियाँ खोखली (वातिल अस्थियाँ) होती है तथा वायु भरी रहती हैं।
- जबड़े उपस्थित होते है परन्तु दांत नहीं पाये जाते हैं।
- उड़नविहिन पक्षी → Ostrich (शुतुरमुर्ग), Emu, Kiwi
उदाहरण –
→ कौआ, कबूतर, तोता, शुतुरमुर्ग, मोर, पेंगवीन → जलीय पक्षी, गिद्ध-वल्चर
➞ नोट :-
→ आर्कियॉप्टेरिक्स → रेप्टाइल्स व एवीज के बीच की कड़ी
→ हमिंग बर्ड → सबसे छोटा पक्षी
❖ मेमेलिया (Mammalia)/ स्तनी :-
- मादाओं में विकसित स्तन ग्रंथियां पायी जाती हैं।
- ये शिशु को स्तनपान कराती हैं।
- शरीर पर बाह्य कर्ण (Pinna) व रोम उपस्थित होते हैं।
- यह सभी प्रकार के वातावरण में रहते हैं।
- यह ग्रंथियां युक्त होते हैं
- इस वर्ग के अधिकांश जीव जरायुज होते है जो शिशु को जन्म देते हैं।
- इन्हें दो उपवर्गों में बाटा गया हैं।
- मेमेलिया / स्तनी
1. प्रोटोथीरिया – रेप्टाइल के समान अण्डे देते हैं।
2. थीरिया – शिशु को जन्म देते हैं।
उदाहरण –
→ कंगारू, उड़न लोमड़ी (टेरोपस), ऊँट (केमेलस), बंदर (मकाका), कुत्ता (केनिस), चूहा (रेट्स), बिल्ली (फेलिस), हाथी (एलीफ्स), ब्लुव्हेल (बेलेनोटरा) – सबसे बड़ा जीवित स्तनधारी, डॉल्फिन, चमगादड़, बाघ (पेन्थेरा), शेर (पेन्थेरा लियो), मानव (होमोसेपयन्स)
❖ अकशेरूकी (नॉन कॉर्डेटा) :-
- प्रोटोजोआ
- पोरीफेरा
- सीलेन्ट्रेटा
- प्लेटी हैलमन्थीज (चपटे कृमि)
- एस्के हैलमन्थीज
- एनीलिडा
- ऑर्थोपोडा
- मोलस्का
- इकाइनोडर्मेटा
❖ प्रोटोजोआ :-
- एक कोशिकीय
- यूकेरियोटिक
- समुद्री जल में उपस्थित
- पुनरूदभवन (Regenration) की क्षमता
- शारीरिक संगठन स्तर → कोशिकीय स्तर
- गमन हेतू → कूटपाद या स्यूडोपोडिया
- उत्सर्जन हेतु → संकुचनशील रिक्तिका (Contractile vacuole)
- जनन → लैंगिक व अलैंगिक
- उदाहरण – अमीबा, पैरामीशियम, युग्लीना, प्लाज्मोडियम
❖ पोरीफेरा :-
- बहुकोशिकीय जीव
- यूकेरियोटिक जीव
- समुद्री जल में उपस्थित
- इनका शरीर छिद्रों में विभक्त
- जल नाल तंत्र पाया जाता है
- शारीरिक संगठन स्तर → कोशिकीय स्तर
- लार्वा → एम्फीब्लास्टुला
- उदाहरण – साइकन, स्पोन्जिला, ल्यूकोसालेनिया
❖ सीलेन्ट्रेटा :-
- बहुकोशिकीय जीव
- यूकेरियोटिक जीव
- समुद्री जल में उपस्थित
- अन्य नाम → नीडेरिया
- शारीरिक संगठन स्तर → कोशिकीय ऊतक स्तर
- विशेष प्रकार की कोशिका → निडोब्लास्ट (दंश कोशिकाएं)
- खोखली गुहा → सिलेन्ट्रोन (जठर गुहा)
- बहुरूपता (Polymorphism) उपस्थित → पोलीप व मेड्यूसा
- लार्वा → प्लैनुमा लार्वा
- उदाहरण – हाइड्रा (अमरजीव), ओबेलिया, फाइसेलिया, ऑरेलिया (जैलीफिश)
❖ प्लेटी हैलमन्थीज :-
- अन्य नाम → चपटे कृमि
- संरचना → कृमि नुमा
- शारीरिक संगठन स्तर → ऊतक अंग स्तर
- उत्सर्जन → ज्वाला कोशिकाएं या सोलेनोसाइटस
- विशेषता –
1. इस संघ के जीव त्रिकोरकी होते हैं।
2. इसके अधिकांश सदस्य परजीवी होते हैं व कुछ रोग उत्पन्न करते हैं।
3. वास्तविक देह गुहा या सिलोम नहीं पायी जाती हैं। - उदाहरण – टीनिया सोलियम (फीता कृमि), लिवर फ्लूक, प्लेनेरिया
❖ एस्के हैलमन्थीज :-
- अन्य नाम – निमेटोडा
- इस संघ के जीव – गोलकृमि (Round worm), सुत्रकृमि
- शारीरिक संगठन स्तर → अंग, अंग-तंत्र स्तर
- विशेषता –
- इस संघ के अधिकांश जीव जल में उपस्थित होते है तथा अधिकतर जीव परजीवी होते हैं।
- इन जीवों में स्पष्ट सर (Head) का अभाव
- देहगुहा (सीलोम) – आभासी/अवास्तविक
- इस संघ के जीव त्रिकोरकी होते है
- उदाहरण – एस्केरिस, वाउचेरेरिया
❖ एनेलिडा :-
- खोज – लेमार्क
- शारीरिक संगठन स्तर → अंग-तंत्र स्तर
- विशेषता –
- इनका शरीर खण्डों में बंटा हुआ हैं
- कुछ जीव उभयचर होते है
- देहगुहा – वास्तविक
- बंद परिसंचरण तंत्र
- उत्सर्जन अंग → नेफ्रिडिया
- उदाहरण – केंचुआ, नेरीस, जोंक (लीच)
❖ ऑर्थोपोडा :-
- सजीव जगत/अकशेरूकी जीवो का सबसे बड़ा संघ
- शारीरिक संगठन स्तर → अंग-तंत्र स्तर
- विशेषता –
- इस जीवों में जोड़ीदार पैर होते है
- खुला परिसंचरण तंत्र
- उत्सर्जी अंग → मैलपिधी नलिकाएँ
- कंकाल → काइटिन
- श्वसन अंग – ट्रेकिया (कीट)
- बिच्छू – बुक लंग्स
- जलीयजीव → क्लोम / गिल्स
- शरीर खण्डों में विभाजित
- उदाहरण –
पैलिमान (झींगा), पैलेम्नियस (बिच्छू), अरेनिया (मकड़ीनुमा), पेरीप्लेनीटा (तिलचट्टा/कोकरोच), मस्का (घरेलू मक्खी), तितली, स्कोलोपेन्ड्रा/मिलीपीड/सेन्टीपीड
❖ मोलस्का :-
- समुद्री जीव होते हैं।
- शारीरिक संगठन स्तर → अंग-तंत्र स्तर
- विशेषता –
- कवच – कैल्सियम कार्बोनेट का बना
- परिसंचरण तंत्र – खुला
- रक्त का रंग – नीला (हीमोसायनिन वर्णक)
- उत्सर्जन अंग – मेटा नेफ्रीडिया/बोजेनस अंग/केबर अंग
- उदाहरण – युनियो, शंख, घोंघा, सीप, ऑक्टोपस, मोती
❖ इकाइनोडर्मेटा :-
- समुद्री जीव होते हैं।
- शारीरिक संगठन स्तर → अंग-तंत्र स्तर
- विशेषता –
- शरीर, पर कांटेनुमा संरचना होती है → कंटिकाएँ (Ca से निम्रित)
- जल संवहन तंत्र पाया जाता है
- पुनरूद्धभवन क्षमता
- उदाहरण – तार मछली, समुद्री अर्चिन, होलोथूरिया (समुद्री खीरा), ऐन्टेडॉन (पंखतारा)