शोधकर्ताओं ने हाल ही में नागालैंड के मोकोकचुंग जिले में हल्दी कुल से जुड़ी एक नई प्रजाति की पहचान की है, जिसे ‘Curcuma ungmensis’ नाम दिया गया है। इस हल्दी की नयी प्रजाति का नाम मोकोकचुंग के उंगमा गांव से लिया गया है, जहां इसे खोजा गया। करकुमा उंगमेंसिस अदरक परिवार (जिंजिबरेसी) की एक प्रजाति है, और यह जड़ी-बूटी 65-90 सेंटीमीटर ऊंची होती है। इसके पीले फूल इसे खास बनाते हैं।
भारत में जिंजिबरेसी परिवार के 21 वंश और लगभग 200 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं, जैसे करकुमा का बड़ा वंश, जिसमें हल्दी, काली हल्दी और आम अदरक (Curcuma Longa, Curcuma Zedoaria, और Curcuma Amada) शामिल हैं। भारत में पाई जाने वाली करकुमा की 40 प्रजातियों में से अधिकांश का वितरण मुख्य रूप से पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में होता है।
वनस्पतिक रूप से, करकुमा उंगमेंसिस एक प्रकंद (भूमिगत तना) वाली जड़ी-बूटी है, जिसका तना मिट्टी के नीचे शाखाओं के रूप में फैला होता है। यह पौधा अपनी औषधीय गुणों के कारण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हल्दी कुल की प्रजातियां प्राचीनकाल से औषधीय उपयोग के लिए प्रसिद्ध हैं।
इस खोज ने वैज्ञानिक समुदाय के बीच उत्साह पैदा किया है, और यह भारत की जैव विविधता में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह प्रजाति नागालैंड की अनूठी वनस्पतियों में जुड़ने के साथ-साथ औषधीय शोध और अध्ययन के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।