मुगल वंश एवं सूर वंश से संबधित महत्वपूर्ण जानकारी ||

Last updated on May 18th, 2025 at 02:29 pm

मुगल वंश एवं सूर वंश-

✤ मुगल वंश :-

➤ बाबर :-

➔ बाबर का जन्म फरगना (अफगानिस्तान) में 1483 ई. हुआ।
➔ मुगल सत्ता का भारत में संस्थापक |
➔ भारत में सर्वप्रथम तोपखाना, तुलुगामा पद्धति तथा जिहाद या धर्म युद्ध की संज्ञा खानवा युद्ध में प्रयोग करने वाला तथा युद्ध जीतने के बाद गाजी की उपाधि धारण की।
➔ बाबर की आत्मकथा – बाबरनामा (तुर्की भाशा में) |
➔ बाबर का मकबरा पहले आगरा बाद में काबुल।
सांगा को हिन्दुपत कहते है। सांगा ने खानवा युद्ध में पातीपेरवन की नीति अपनाई।

◆ बाबर के युद्ध :-

➔ पानी पिया – पानीपत का प्रथम युद्ध – 21 अप्रैल, 1526 ई. – इब्राहिम लोदी (हारा)
परिणाम – मुगल वंश की भारत में नींव रखी।
➔ बयान दिया – बयाना युद्ध – 16 फरवरी 1527 ई., सांगा जीता।
➔ खाना खाया – खानवा युद्ध – 17 मार्च 1527 ई., सांगा (हारा)
परिणाम – मुगल सता की स्थाई स्थापना।
➔ चाय पी – चन्देरी युद्ध – 1528 ई., मेदीनीराय (हारा)
➔ घर गया – घाघरा युद्ध – 1529 ई., मोहम्मद लोदी (हारा)
➔ मर गया – बाबर – 1530 ई.

➤ हुमायूँ (1530-1556 ई.) :-

➔ 1533 ई. में दीनपनाह नगर बसाया।
➔ हूमायूँनामा – गुलबदन बेगम (बहिन) ने लिखी।
➔ इसने दो बार शासन किया।
➔  पत्नी – हमीदा बानो
➔ हुमायूँ का मकबरा – दिल्ली
➔ हुमायूँ को मेवाड़ की कर्मावती ने राखी भेजकर गुजरात के बहादुरशाह बेघड़ा के विरूद्ध सहायता मांगी लेकिन कोई सहायता नहीं की।
➔ चौसा का युद्ध – 1539 ई. (शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराया)
➔ बिलग्राम/कन्नौज का युद्ध – 1540 ई.(शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराया)
सरहिन्द का युद्ध (1555 ई.) :- हुमायूँ ने सिकन्दर सूरी को हराया तथा मुगल सत्ता की पुनः स्थापना की।
➔ हुमायूँ ने पुनः राजा बनने पर निजाम भिस्ती को एक दिन का राजा बनाया जिसने चमड़े के सिक्के चलाए।
➔ हुँमायू के बारे में लेनपुल ने कहा था कि ‘‘भारत का ऐसा शासक जो जीवन भर लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाने से उसकी मृत्यु हो गयी।

✤ सूर वंश (1540 – 1555 ई.) :-

➔ सूर साम्राज्य – संस्थापक – शेरशाह सूरी (फरीद)
➔ शेरशाह ने भारत में सर्वप्रथम डाक व्यवस्था शुरू की।
➔ भारत की प्रथम सड़क ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण पेशावर से कोलकता तक करवाया।
➔ शेरशाह ने रूपया व टका नामक मुद्राएं चलाई।
➔ शेरशाह ने 1541 ई. में पाटलिपुत्र को पटना के रूप में पुनः स्थापित किया।
गिरी सुमेल का युद्ध (1544 ई.) :- शेरशाह सूरी ने जोधपुर के मालदेव राठौड़ को हराया। जिसमें मालदेव के सेनापति जेता कूपा मारे गये। तब शेरशाह ने कहा कि ‘‘मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिन्दुस्तान की  सल्तनत खो देता तथा अगर जेता व कूपा जैसे सैनिक मेरे पास होते तो मैं भारत में एक छत्र राज करता’’।
➔ शेरशाह का मकबरा सासाराम (बिहार), भारत का सबसे बड़ा मकबरा।
➔ सूरी वंश का अंतिम शासक – सिकंदर सूरी

➤ अकबर (1556 – 1605 ई.) :-

➔ 14 वर्श की आयु में कलानौर (पंजाब) में राज्याभिशेक
➔ अकबर का प्रधानमंत्री व संरक्षक – बैरम खाँ
➔ 1564 ई. में अकबर ने जजिया कर हटाया।
➔ 1571 ई. में गुजरात जीतने पर अकबर ने फतेहपुर सीकरी का निर्माण आगरा में करवाया तथा उसे राजधानी बनाया और यहाँ बुलंद दरवाजा व इबादत खाना भी बनवाया।
➔ 1582 ई. में अकबर ने दीन-ए-ईलाही धर्म चलाया जिसे अपनाने वाला एकमात्र हिन्दु बीरबल था।
➔ 1583 ई. में अकबर ने ईलाही संवत् चलाई।
➔ 1585 ई. में लाहौर को राजधानी बनाई।
➔ अकबर की पत्नी जोधाबाई (भारमल की पुत्री)
➔ राजपूतानों का पहला शासक भारमल है जिसने मुगलों की अधीनता स्वीकार की व उसे वैवाहिक संबंध बनाया।
➔ अकबर का काल ‘‘हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल’’ कहलाता है।
➔ अकबर ने जरोखा दर्शन एवं मनसबदारी व्यवस्था की शुरूआत की।
➔ अकबर ने कवि हरी विजय सूरी को जगतगुरू की उपाधि दी।

◆ अकबर के नवरत्न :-

1. बीरबल :-
जन्म – बदायू, वास्तविक नाम – महेशदास
अकबर ने इसे ‘कवि प्रिय’ की उपाधि दी।
2. अबुल फजल :-
जन्म – बदायू, अकबरनामा के लेखक
3. अबुल फैजी – अबुल फजल का भाई
4. फकीर अजीउद्दीन
5. मुला दो प्याजा – एक रसोइया
6. अब्दुल रहीम खान खाना – दान के लिए प्रसिद्ध
7. मानसिंह – सर्वाधिक 7 हजार मनसबदार प्राप्त थी।
अकबर ने इसे फर्जन्द (पुत्र) की उपाधि दी।
8. टोडरमल – फिता जरीफ प्रणाली के जनक तथा भू-राजस्व मंत्री।
9. तानसेन – अकबर का संगीत गुरू
वास्तविक नाम – रामतुनपाण्डे।
➔ अकबर के काल में 1575 ई. में तुलसीदास जी ने रामचरितमानस ग्रंथ लिखा।

◆ पानीपत का द्वितीय युद्ध – 1556 ई.

➔ अकबर ने हेमू को हराया।
➔ हेमू भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट था।
➔ अकबर का गुरू ‘शेख सलीम चिश्ती’ इन्हीं के आशीर्वाद से सलीम / जहाँगीर का जन्म हुआ।

◆ मेवाड़ युद्ध (1567-68 ई.) :-

➔ अकबर ने उदयसिंह को हराया।
➔ उदयसिंह के सेनापति – जयमल, पता व कला
➔ फूलकंवर के नेतृत्व में महिलाओं ने जौहर किया जो चितौड़ का तीसरा व अंतिम जौहर था।

◆ नागौर दरबार (1570 ई.) :-

➔ मेवाड़ को छोड़कर राजपुताना के सभी राजाओं ने अधीनता स्वीकार की।
➔ महाराणा प्रताप को समझाने के लिए अकबर द्वारा भेजे गए चार शिष्टमण्डल :-
1. जलाल खाँ
2. मानसिंह
3. भगवंतदास
4. टोडरमल

◆ हल्दीघाटी युद्ध (1576 ई.) :-

➔ महाराणा प्रताप के सेनापति हकीम खाँ सूरी व अकबर के सेनापति मानसिंह के मध्य हुआ।
➔ अकबर – विजय
➔ हल्दीघाटी मैदान – राजसमंद
➔ मानसिंह के हाथी का नाम – मरदाना व सवाई
➔ प्रताप के हाथी का नाम – लूणा व रामप्रसाद
➔ रामप्रसाद का नाम युद्ध जीतने पर अकबर ने पीरप्रसाद कर दिया।
➔ प्रताप का घोड़ा – चेतक
➔ हल्दीघाटी युद्ध को कर्नल जेम्स टॉड ने ‘‘मेवाड़ की थर्मोपोल्ली’’, अबुल फजल ने – ‘‘खमनौर का युद्ध’’, बदायूनी ने ‘‘गोगुन्दा का युद्ध’’ कहा।

◆ दिवेर का युद्ध (1582 ई.) :-

 प्रताप के पुत्र व सेनापति अमरसिंह ने अकबर के सेनापति सुल्तान खाँ को हराया।
 इस युद्ध को कर्नल जेम्स टॉड ने ‘‘मेवाड़ का मैराथन’’ कहा।
 प्रताप की संकटकालीन राजधानी – चावंड
 प्रताप की छतरी – बांडौली (उदयपुर)
 अकबर का मकबरा – सिकन्दरा (आगरा)

◆ जहाँगीर (1605 – 1627 ई.) :-

इसने आगरा में सोने की जंजीर / न्याय की जंजीर बनवाई।
➔ आत्मकथा – तुजुक-ए-जहाँगीरी
➔ जहाँगीर का काल भारतीय ‘‘चित्रकला का स्वर्णकाल’’ कहलाता है।
 जहाँगीर/सलीम – प्रथम विवाह – भगवंतदास की पुत्री मानबाई से हुआ जिसका पुत्र खुसरों था।
खुसरों ने अपने पिता के विरूद्ध सिक्खों के 5वें गुरू अर्जुनदेव के कहने पर विद्रोह कर दिया जिससे जहाँगीर ने अर्जुनदेव को फाँसी लगवा दी तथा मानबाई ने खुसरों की हत्या कर दी। जो विश्व की एकमात्र पुत्रहन्ता माँ है।
दूसरा विवाह – मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री मानबाई/जगतगुसाई से हुआ जिसका पुत्र खुर्रम (शाहजहाँ) हुआ।
 जहाँगीर की प्रमुख पत्नी महरूनिशा/नूरजहाँ/ नूरमहल
 जहाँगीर के काल में आए अंग्रेज अधिकारी :-
1. विलीयम हाँकिग्स
2. विलियम फिन्च
3. एडवर्ड कैरी
4. सर टॉमस रो – ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत जिसे 1616 ई. में जहाँगीर ने अंग्रेजों को भारत में व्यापार की अनुमति दी।
 प्रथम मेवाड – मुगल संधि 1615 ई. – जहाँगीर के पुत्र खुर्रम ने अमरसिंह के पुत्र कर्णसिंह के साथ की।
 जहाँगीर का मकबरा – शाहदरा, लाहौर (पाकिस्तान)

➤ शाहजहाँ / खुर्रम (1627 – 1658 ई.) :-

➔ प्रमुख पत्नी – अरजुबन्द बेगम जिसे मुमताज की उपाधि प्राप्त थी। इसी की याद में शाहजहाँ ने आगरा में ताजमहल बनाया जो विश्व के सात अजुबां में शामिल है। शाहजहाँ का काल भारतीय ‘‘स्थापत्य कला का स्वर्णकाल’’ था। शाहजहाँ ने दिल्ली में लाल किला, आगरा में मोती मस्जिद बनवाई।
➔ शाहजहाँ ने मयूर सिंहासन/तख्ते ताऊस का निर्माण करवाया व इसमें कोहिनूर हीरा जड़वाया। (वास्तुकार – बादल खाँ)
➔ शाहजहाँ के चार पुत्र – दारा, सुजा, मुराद, औरंगजेब।
➔ उत्तराधिकारी युद्ध :- धरमत का युद्ध 1658 ई.
– औरंगजेब ने दारा को हराया।
➔ सामुगढ़ का युद्ध 1658 ई.(उतरप्रदेश) – औरंगजेब ने दारा को हराया तथा शाहजहाँ को आगरा के किले में कैद कर लिया जहाँ इसकी 1666 ई. में मृत्यु हो गई।
➔ खजुआ (उतरप्रदेश) का युद्ध 1659 ई. – औरंगजेब ने सुजा का हराया।
➔ दोराई का युद्ध (राजस्थान) 1659 ई. – अंतिम उत्तराधिकारी युद्ध जिसमें औरंगजेब ने दारा को हराया व कांकणबाड़ी किला अलवर में इसे फांसी दे दी।

➤ औरंगजेब (1658 – 1707 ई.) :-

➔ इसने संगीत व चित्रकला पर रोक लगाई।
➔ बीबी का मकबरा – औरंगाबाद (महाराश्ट्र) निर्माण 1679 ई. जिसे भारत का दूसरा ताजमहल कहते है।
➔ औरंगजेब ने सिखों के 9वें गुरू तेगबहादुर की दिल्ली में हत्या करवाई तथा गुरू गोविंद सिंह के पुत्र जोरावर व फतेहसिंह को जिंदा दीवार में चिनवा दिया।
➔ औरंगजेब ने शिवाजी को दबाने के लिए मिर्जा राजा जयसिंह को भेजा जिसकी शिवाजी के साथ 10 जून 1665 ई. में पुरन्दर की संधि हुई।
➔ मेवाड़ के महाराणा राजसिंह ने किशनगढ़ के स्वरूपसिंह की पुत्री चारूमती से विवाह औरंगजेब के विरूद्ध जाकर किया।
➔ औरंगजेब ने जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंह की मृत्यु पर कहा था – ‘‘आज कुफर (धर्म विरोधी) का दरवाजा टूट गया तथा कुफर का घर इस्लाम का घर हो गया’’।
➔ औरंगजेब ने जसवंतसिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र अजीतसिंह व रानियों को आगरा के किले में कैद किया था। जिन्हें अजीतसिंह की धाय माँ गौरा व वीर दुर्गादास राठौड़ ने छुड़वाया था।
➔ औरंगजेब की मृत्यु 1707 ई. में मराठों से युद्ध करते समय हुई।
➔ सर्वाधिक कार्यकाल वाला मुगल शासक।
➔ औरंगजेब ने 1679 ई. में पुनः जजिया कर लगाया।

◆ प्लासी युद्ध :-

➔ 1757 ई. (पं. बंगाल)
➔ बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला v/s अंग्रेज रॉबर्ट क्लाइव
➔ परिणाम :- अंग्रेजों की जीत तथा भारत में अंग्रेजी सता की नींव या स्थापना।

◆ बक्सर का युद्ध (बिहार) :- 1764 ई.

     सुजाउद्दौला
+
मीर कासिम
+
भारत के मुगल सम्राट शाह आलम (II)
अंग्रेज

नेतृत्व

मुनरो

जीत

◆ पानीपत तृतीय युद्ध :-

➔ हरियाणा, 1761 ई. में
➔ अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को हराया।
➔ जाट राजा सूरजमल ने मराठों की सहायता की।
➔ जाट राजा सूरजमल ने भरतपुर में जाट साम्राज्य की नींव डाली। जाट वंश का प्रतापी राजा सूरजमल हुआ जिसे ‘‘जाटों का प्लेटो’’ या अफ्लातुन कहते है। सूरजमल ने भरतपुर में लोहागढ़ किला बनवाया, जिसे मुगल -मराठा-अंग्रेज-राजपूत कोई नहीं जीत सका इसलिए इसे ‘‘भारत का अजेयगढ़’’ कहते है।

 

1 thought on “मुगल वंश एवं सूर वंश से संबधित महत्वपूर्ण जानकारी ||”

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