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जैन धर्म –
✤ ऋषभदेव जी/आदिनाथजी :-
➤ जैन धर्म के संस्थापक व प्रथम तीर्थंकर।
➤ प्रतीक चिह्न – बैल
➤ 23वें तीर्थंकर – पार्श्वनाथजी
➤ प्रतीक चिह्न – सर्प
✤ महावीर स्वामी :-
➤ जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक।
➤ जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर
➤ जन्म – 540 ई. पू. कुण्डग्राम (वैशाली) में ज्ञातृक क्षत्रिय वंश में।
➤ पिता – सिद्धार्थ
➤ माता – त्रिशला
➤ पत्नी – यशोदा
➤ पुत्री – प्रियदर्शना
➤ दामाद – जामिल
➤ प्रतीक चिह्न – सिंह
➤ 30 वर्ष की आयु में गृहत्याग किया।
➤ 12 वर्ष कठोर तपस्या की।
➤ ज्ञानप्राप्ति – 42 वर्ष की आयु में जृम्भिक गाँव (बिहार) में ऋजुपालिका नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई।
➤ महावीर स्वामी ने प्राकृत भाषा में उपदेश दिये।
➤ मृत्यु – 72 वर्ष की आयु में 468 ई.पू. पावापुरी (बिहार) में।
जैन धर्म के त्रिरत्न |
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1. सम्यक दर्शन |
2. सम्यक ज्ञान |
3. सम्यक चरित्र |
➤ जैन धर्म का साहित्य आगम कहलाता है।
➤ जैन धर्म का पवित्र ग्रंथ – कल्पसूत्र (भद्रभाहू द्वारा रचित)।
✤ जैन धर्म की संगितियाँ –
संगति | वर्ष (ई. पू.) | स्थान | संरक्षक | अध्यक्ष |
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प्रथम संगिति | 300 ई. पू. | पाटलिपुत्र | चन्द्रगुप्त मौर्य | स्थूलभद्र |
द्वितीय संगिति | छठी शताब्दी | वल्लभी (गुजरात) | – | श्रमाश्रवण |
✦प्रथम संगिति के समय जैन धर्म दो भागों में विभाजित हो गया।
1. दिगम्बर – भद्रभाहू के अनुयायी
2. श्वेताम्बर – स्थूलभद्र के अनुयायी