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By: Army Study

On: October 1, 2025

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97 नए Tejas Mk-1A विमान के लिए भारत की 62,370 करोड़ की Defence Deal

भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 97 हल्के लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft – LCA) Tejas Mk-1A खरीदने का निर्णय लिया है। यह सौदा 62,370 करोड़ रुपये की लागत पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ किया गया है।

इसमें 68 एकल पायलट संस्करण (Fighters) और 29 दो सीटों वाले संस्करण (Twin-Seaters) शामिल हैं। इसके साथ ही, सभी आवश्यक सपोर्ट उपकरण और सिस्टम भी प्रदान किए जाएंगे, जिससे भारतीय वायुसेना की संचालन क्षमता और तकनीकी मजबूती में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। इन विमानों की डिलीवरी 2027-28 से शुरू होगी और छह वर्षों में पूरी की जाएगी।

✦ Tejas Mk-1A की खासियतें और उन्नत तकनीक

स्वदेशीकरण पर ज़ोर

  • इस विमान में 64% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा।
  • पिछले अनुबंध की तुलना में 67 नए घटक जोड़े गए हैं।

नए तकनीकी अपग्रेड

  1. Uttam AESA रडार — यह भारतीय तकनीक पर आधारित आधुनिक रडार प्रणाली होगी।
  2. स्वयं रक्षा कवच (Swayam Raksha Kavach) — विमान की सुरक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को मजबूत करेगा।
  3. नियंत्रण सतह एक्ट्यूएटर्स — बेहतर संचालन और फ्लाइट कंट्रोल के लिए।
  4. इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सिस्टम — दुश्मन के राडार और मिसाइल हमलों से सुरक्षा।
  5. फ्लाई-बाय-वायर नियंत्रण और बेहतर सेंसर्स — सटीकता और स्थिरता में बढ़ोतरी।
  6. बेहतर मेंटेनेंस डिज़ाइन — कम समय में उड़ान के लिए तैयार करने की क्षमता।

✦ Tejas Mk-1A सौदे का महत्व

  • यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत मिशन को मज़बूती देगी।
  • भारतीय वायुसेना को पुराने विमानों के बदले आधुनिक और शक्तिशाली लड़ाकू विमान मिलेंगे।
  • लगभग 105 भारतीय कंपनियाँ इस परियोजना में शामिल होंगी।
  • अनुमान है कि प्रतिवर्ष करीब 11,750 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बनेंगे।

✦ Tejas Mk-1A सौदे में आने वाली संभावित कठिनाइयाँ

भारत का यह मेगा रक्षा सौदा ऐतिहासिक है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए कई तकनीकी और समयबद्ध चुनौतियों को पार करना होगा।

  • इंजन सप्लाई पर निर्भरता — GE F404-IN20 इंजन की सप्लाई समय पर होनी ज़रूरी है।
  • नए सिस्टम्स का परीक्षण और इंटीग्रेशन — सभी तकनीकों को सुचारू रूप से जोड़ना बड़ी चुनौती होगी।
  • उत्पादन क्षमता बढ़ाना — HAL को उत्पादन लाइन और सप्लाई चेन मजबूत करनी होगी।
  • समय पर डिलीवरी — छह वर्षों की तय समयसीमा में कार्यक्रम को पूरा करना महत्वपूर्ण होगा।

इन चुनौतियों को समय पर हल करना इस परियोजना की सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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