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By: Army Study

On: July 21, 2025

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भारतीय इतिहास के स्त्रोत || Sources of Indian History

Sources of Indian History: यह पोस्ट भारतीय इतिहास को जानने और समझने के प्रमुख स्त्रोतों की जानकारी देती है। इसमें साहित्यिक, पुरातात्विक, विदेशी यात्रियों के विवरण और अभिलेखों जैसे स्त्रोतों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है, जो हमारे अतीत की सही जानकारी प्राप्त करने में सहायक हैं। यह विषय प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

1. महाभारत – 

रचियता – महर्षि वेदव्यास (भारतीय इतिहास के जनक)

प्राचीन नाम –जयसंहिता

श्लोक – 1 लाख (विश्व का सबसे बड़ा ग्रंथ)

2. रामायण –

रचियता – महर्षि वाल्मिकी

श्लोक – 24000


✤ वेद – 4

शाब्दिक अर्थ – ज्ञान/जानना

➤ भारतीय संस्कृति का सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद है।

➤ वेदों का श्रुति भी कहा जाता है।

संकलनकर्ता – कृष्णद्वैपायन वेदव्यास


1. ऋग्वेद –

➤ सबसे प्राचीन वेद।

➤ ऋग्वेद में 10 मण्डल, 1028 सुक्त व 10462 मंत्र है।

तीसरा मण्डल – इस मण्डल से गायत्री मंत्र लिया गया है। जिसका संकलन विश्वामित्र ने किया। यह सावितृ को समर्पित है।

नौवा मण्डल – सोमदेवता को समर्पित

2. यजुर्वेद –

➤ यज्ञों की जानकारी, कर्मकाण्ड प्रधान वेद

➤ यह वेद गद्य व पद्य दोनों में रचित है।

दो भाग – 1. कृष्ण यजुर्वेद  2. शुक्ल यजुर्वेद

3. सामवेद – 

➤ संगीत की जानकारी।

4. अथर्ववेद – 

➤ सबसे नवीन वेद। अथर्वा ऋ़षि द्वारा रचित।

➤ जादु टोना व वशीकरण की जानकारी।

वेदपाठ्नकर्ताउपवेद
ऋग्वेदहोतृआयुर्वेद
यजुर्वेदअध्वर्यूधनुर्वेद
सामवेदउद्गातागांधर्ववेद
अथर्ववेदब्रह्माशिल्पवेद

✤ वेदांग – 6

➤ वेदों को भलि-भाँति समझने के लिए वेदांग की रचना की गयी है।

1. शिक्षा

2. व्याकरण

3. कल्प

4. निरूक्त

5. छंद

6. ज्योतिषक

✤ स्मृतियाँ – 8

➤ सबसे प्राचीन स्मृति – मनुस्मृति

➤ सबसे नवीन स्मृति – नारद स्मृति

✤ पुराण – 18

संकलनकर्ता – लोमहर्ष व पुत्रउग्रश्रवा

➤ सबसे प्राचीन पुराण – मत्स्य पुराण (सातवाहन वंश की जानकारी)

➤ विष्णु पुराण – मौर्य वंश की जानकारी।

➤ वायु पुराण – गुप्त वंश की जानकारी।

✤ उपनिषद – 108

➤ वेदों मे सबसे अंत में उपनिषद लिखे गये इसलिए इन्हें वेदान्त कहा जाता है।

वृहदराण्यक उपनिषद – सबसे बड़ा उपनिषद।

गार्गी – याज्ञवल्कय संवाद की जानकारी।

✦ मुण्डोकोपनिषद –

इस उपनिषद से भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के नीचे लिखा शब्द सत्यमेव जयते लिया गया।

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