Army Study icon Image

By: Army Study

On: December 16, 2025

Follow

पाकिस्तान में पहली बार पढ़ाई जाएगी संस्कृत

पाकिस्तान में ऐतिहासिक पहल लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने विभाजन के बाद पहली बार संस्कृत भाषा का औपचारिक 4-क्रेडिट कोर्स शुरू करके एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कदम उठाया है।
इस पहल का उद्देश्य दक्षिण एशिया की साझा सांस्कृतिक विरासत को फिर से समझना और अकादमिक स्तर पर पुनर्जीवित करना है।


तीन महीने की वर्कशॉप से विश्वविद्यालय कोर्स तक का सफर

तीन महीने की वर्कशॉप से यूनिवर्सिटी कोर्स तक, LUMS में संस्कृत की पढ़ाई

यह कोर्स Gurmani Centre for Languages and Literature, LUMS द्वारा संचालित किया जा रहा है। कोर्स का नाम है। इस कोर्स की शुरुआत तीन महीने की वीकेंड वर्कशॉप से हुई थी। इस वर्कशॉप में छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और संस्कृत भाषा को लेकर गहरी रुचि दिखाई। छात्रों की सकारात्मक प्रतिक्रिया और अकादमिक मांग को देखते हुए LUMS प्रशासन ने इसे एक पूर्ण 4-क्रेडिट विश्वविद्यालय कोर्स (Introduction to Sanskrit) का रूप देने का निर्णय लिया।

Sanskrit will be taught for the first time in pakistan lahore university of management sciences launched a sanskrit course

LUMS के संस्कृत कोर्स में क्या पढ़ाया जाएगा?

1. संस्कृत का मूल व्याकरण

  • वर्णमाला और लिपि
  • शब्दावली और वाक्य संरचना
  • भाषा की बुनियादी संरचना

2. प्रमुख ग्रंथों का अध्ययन

  • महाभारत का परिचय और कथानक
  • भगवद्गीता के चयनित श्लोकों का अध्ययन व अनुवाद

3. सांस्कृतिक और भाषाई संबंध

  • उर्दू शब्दों के संस्कृत मूल
  • भाषाओं की साझा जड़ें समझने पर जोर

संस्कृत: धर्म नहीं, साझा सांस्कृतिक विरासत

Gurmani Centre के निदेशक डॉ. अली उस्मान कास्मी ने बताया कि पाकिस्तान के पंजाब विश्वविद्यालय पुस्तकालय में संस्कृत पांडुलिपियों का एक अत्यंत समृद्ध लेकिन उपेक्षित संग्रह मौजूद है। इनमें ताड़ के पत्तों पर लिखी गई दुर्लभ पांडुलिपियां भी शामिल हैं, जिन्हें 1930 के दशक में प्रसिद्ध विद्वान J.C.R. Woolner ने सूचीबद्ध किया था।

हालांकि, 1947 के बाद से किसी भी पाकिस्तानी शिक्षाविद ने इन पांडुलिपियों पर गंभीर शोध नहीं किया। अब तक इनका अध्ययन केवल विदेशी शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता रहा है। इस कोर्स का उद्देश्य स्थानीय विद्वानों को प्रशिक्षित कर इस स्थिति को बदलना है।

LUMS ने स्पष्ट किया है कि:

  • यह पहल धार्मिक नहीं बल्कि पूरी तरह अकादमिक है
  • उद्देश्य पाकिस्तान में मौजूद हजारों संस्कृत पांडुलिपियों तक स्थानीय विद्वानों की पहुंच बनाना है
  • अभी तक इन पांडुलिपियों का अध्ययन मुख्य रूप से विदेशी शोधकर्ता करते रहे हैं

Leave a Comment